मटर की उन्नतशील किस्में , बेहतर वैरायटी देगी बम्पर पैदावार,अधिक मुनाफा
दलहन फसल के रूप में मटर की खेती जाती है,और यह फसल रबी फसलों के साथ की जाती है , इसे उगने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर का महीना माना जाता है.इसके हरे कच्चे दाने खाने में स्वादिष्ट और सब्जी और खाने में करते है , और साथ ही दानो को सुखाकर उनसे कई तरह की खाने की चीजों को बनाने और दाल भी बनाई जाती है .
मटर की उन्नत किस्में:-
बायोसीड पी 10:-सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्म का बीज है जिससे होगा अच्छा मुनाफा , इसकी हर फल्ली में 9 से 11 दाने होते हैं। और साथ ही बुवाई के 65 से 75 दिनों में फलियों की फसल को तोड सकते है .
हिसार हरित (पी.एच 1):-इन फल्ली का आकर लम्बा होता है हर फल्ली में दाना भरा होता है जो की एक बेहतर किस्म है जो की अधिक मात्रा में होगी , : बुवाई के 70 दिनों बाद फलियों को तोडा जाना सुरु कर सकते है , यह किस्म प्रति एकड़ जमीन में खेती करने पर 30 से 35 क्विंटल तक पैदावार देती है .
मटर की उन्नतशील किस्में , बेहतर वैरायटी देगी बम्पर पैदावार,अधिक मुनाफा
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अर्कल :- यह किस्म अगेती वाली किस्म होने वाली है इसके हर एक पौधे की उचाई 50 से 60 सेंटीमीटर तक होती है। यह किस्म प्रति एकड़ जमीन से 26 से 28 क्विंटल मटर की पैदावार करती है .
पूसा पन्ना:-इस बीज के किस्म की फसल बहुत जल्दी तैयार होती है , बुवाई के करीब 90 दिनों बाद फसल को तोडा जा सकता है.
पूसा श्री:-बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद फसल को तोड़ सकते है , इसकी प्रत्येक फली से 6 से 7 दाने होते है , ति एकड़ जमीन में खेती करने पर 20 से 21 क्विंटल हरी फलियां मिलती है .
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पूसा भारत : -अगली किस्म , यह फसल की किस्म प्रति एकड़ जमीन से 6 क्विंटल फसल की पैदावार तक होती है।यह जल्दी पकने वाली किस्मों और बेहतर किस्म वाली फल्ली है , बुवाई के करीब 100 दिन बाद फसल को तोड़ सकते है .
मटर की उन्नतशील किस्में , बेहतर वैरायटी देगी बम्पर पैदावार,अधिक मुनाफा
मटर की खेती करने का सही तरीका:-सब्जी के लिए मटर की खेती एक अच्छा विकल्प होता है , यह काम समय में पक्क्कर दाना देने वाली फसल है जिसे दलहन फसल भी कहते है इस मटर में राइजोबियम जीवाणु मौजूद होता है, जो की खेत की मिटटी को उपजाऊ बनाने में मदद करता है , इसलिए मटर की खेती भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए भी की जाती है,मटर के दानो को सुखाकर अधिक समय तक ताज़ा हरे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है , मटर में कई सरे पोषक ततव पाए जाते है जिससे हमारे शरीर को काफी फायदा होता है , | मटर में अनेक प्रकार के पोषक तत्व प्रतिन, फ़ास्फ़ोरन, विटामिन और आयरन की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है और इसका सेवन मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक माना जाता है .
यह एक द्विबीजपत्री पौधा है , यह सब्जी में बनाकर खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ,इसकी लम्बाई तक़रीबन एक मीटर तक होती है, मटर की खेती कच्चे के रूप में फलियों को बेचने तथा दानो को पकाकर बेचा जाता है आफ्त आप भी मटर की खेती का अच्छी कमाई करना चाहते है, तो लेख में मटर के साथ खेती करे जिससे होगा आपको ज्यादा फायदा .
मटर की खेती सामान्यतः उपजाऊ मिट्टी में की जाती है , लेकिन दोमट मिलती मटर के लिए काफी अच्छा विकल्प हो सकता है , साथ ही इसके अलावा क्षारीय गुण वाली भूमि को मटर की खेती के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है , और ध्यान रहे खेती करने के लिए भूमी का P.H. मान 6 से 7.5 मध्य होना आवश्यक है .
मटर की खेती के लिए सबसे अच्छी जलवायु समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय मानी जाती है , इसकी खेती रबी के मौसम में की जाती है , यह पौधे ठन्डे जलवायु से प्रभावित नहीं होते है , सर्दियों में गिरने वाले पाले को भी इसका पौधा आसानी से सहन कर जाते है और इन्हे ज्यादा पानी की आवस्य्क्ता भी नही होती है , लेकिन ध्यान रहे अधिक गर्म जलवायु भी पौधों के लिए उपयुक्त नहीं है , इन्हे समान्य तपमप में उगना चाहिए , लेकिन पौधों पर फलियों को बनने के लिए कम तापमान की आवश्यकता होती है.