पीपल ढाना में पेयजल के लिए हाहाकार कुएं के डोबरे से गंदा एवम कीटाणु युक्त पानी पीने को मजबूर

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मनोहर अग्रवाल खेडिसावलीगढ़

जिले के आदिवासी बहुत से गावों में पीने के पानी कि समस्या विकराल रूप ले चुकी है लोग एक दूर दूर से पानी लाकर पीने का पानी जुटा रहे है लेकिन सरकारी नुमाइंदे इस विकराल समस्या को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नही है जिला मुख्यालय महज 15 किलो मीटर दूर विकासखंड की ग्राम पंचायत सराढ के पीपल ढाना गांव के आदिवासी पीने के पानी के लिए इस भीषण गर्मी में खेतो में बने पुराने कुओं जिनमे मात्र बरसात का रुका हुआ डोबरा पानी है उसे ही कुएं में उतरकर बाल्टी भरते है.

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फिर ऊपर खड़े लोग उसे खींचते है और इस दुर्गंध युक्त पानी को पीने योग्य बनाने कपड़े से छानकर पानी जुटा रहे है ग्रामीण बताते है की इस पानी। में सूक्ष्म जीवाणु भी है पानी मट्टमेला है फिर भी प्यासे कंठो को तृप्त करने उन्हे इस पानी को ही उपयोग में लेना पड़ रहा है ग्रामीण बताते है। कुछ कुछ लोगो के खेत में ट्यूबवेल है लेकिन वे भी 200 रुपए प्रति माह लेकर पानी बेच रहे है लेकिन गरीब लोग पानी खरीद कर पानी नही पी सकते पीपल ढाना में हेड पंप नही है.

पीपल ढाना में पेयजल के लिए हाहाकार कुएं के डोबरे से गंदा एवम कीटाणु युक्त पानी पीने को मजबूर

बोरवेल में मोटर फंसी है इन सब समस्याओं के बावजूद जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को नही समझ पा रहे और ग्रामवासी बूंद बूंद पानी को तरस रहे है।इन गावों को जल जीवन मिशन में भी नही जोड़ा गया बैतूल विकासखंड में यह एक ऐसा गांव है जहां गांव ग्रामीणों के सुख सुविधा की चिंता किसी को नही है ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है ग्रामवासियों ने बैतूल के संवेदनशील कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से स्वयं इस गांव की सुध लेने की माग की है.

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