kisan yojna : पपीते की खेती से किसान हो रहे माला माल ,सरकार दे रही पपीते की खेती के लिए अनुदान , पढ़े पूरी खबर
टाइम्स नाउ मध्य प्रदेश किसान समाचार :- किसान भाइयो को फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उनकी आमदनी में वृद्धि करने के लिए सरकार फल-फूल एवं सब्जियों की खेती को बढ़ावा दे रही है। जिसे की किसान भाई अधिक से अधिक इन फसलों की खेती के लिए प्रेरित हो सके इसके लिए सरकार इनके उत्पादन पर भारी अनुदान भी दे रही है। सरकार राज्य में पपीता उत्पादन का रकबा बढ़ाने के साथ ही राज्य में उत्पादन बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना एवं राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना चला रही है। योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन कर पपीते की खेती के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना का लाभ बहुत से किसान भाई ले सकते है जो की इस प्रकार से है .
पापते फल से साथ इसके कच्चे फल का भी है बेहद महत्व
आपकी जानकारी के लिए बता दे की पपीता बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। किसान पपीता की खेती अकेले या अमरूद, आम व नींबू के पेड़ों के बीच खाली जगह पर भी कर सकते हैं। पपीता को घर के आंगन में भी उगाया जा सकता है। पपीता लगाने के डेढ़ वर्ष बाद फल मिलने लगते हैं। कम समय, कम क्षेत्र, कम लागत में अधिक पैदावार व अधिक आय प्राप्त होने के कारण पिछले कुछ सालों में जिले के किसानों का रुझान पपीता की खेती की तरफ बढ़ा है। पपीता लोकप्रिय फल होने के साथ-साथ इसके कच्चे फलों से से पपेन एंजाइम प्राप्त होता है। सरकार इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री बागवानी मिशन अंतर्गत अनुदान भी दे रही है। एक हेक्टेयर में पपीते की खेती करने के लिए 60 हजार रुपये की लागत आती है। जिसमें 50 प्रतिशत तक अनुदान मिल रहा है। किसानों को अनुदान दो किस्तों में मिलेगी। पहली किस्त 22 हजार 500 रुपये (अनुदान की 75 % राशि) व दूसरी किस्त सात हजार 500 रुपये की राशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी।
दोमट व बलुई दोमट भूमि पपीते के लिए बढ़िया रहती है
उचित जल निकास वाली जीवांश से भरपूर दोमट व बलुई दोमट भूमि पपीते के लिए बढ़िया रहती है। पपीते के लिए शुष्क व अर्धशुष्क क्षेत्र व पाला व सेम रहित क्षेत्र काश्त उपयोगी है। पपीता में पौधे से पौधे व कतार से कतार का फासला डेढ़ मीटर रखने पर 1742 तथा दो मीटर पर 105 पौधे प्रति एकड़ लगते हैं। मधु, बिंदु, कुर्म, हनी, पूसा डिलीशियस, पूसा डवाफे, पूसा नन्हा, सीओ-7 प्रमुख पारंपरिक किस्में हैं। इसके अलावा सूर्या, मयूरी, पिंक प्लैस्ड प्रमुख संकर किस्में हैं।kisan yojna : पपीते की खेती से किसान हो रहे माला माल ,सरकार दे रही पपीते की खेती के लिए अनुदान , पढ़े पूरी खबर
एक एकड़ के लिए 125 ग्राम बीज पर्याप्त
पपीते के पौधे बीज द्वारा तैयार किए जाते हैं। एक एकड़ में पौधे रोपण के लिए 40 वर्ग मीटर पौध क्षेत्र व 125 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है। इसके लिए एक मीटर चौड़ी व पांच मीटर लंबी क्यारियां बना लें। प्रत्येक क्यारी में खूब सड़ी गली गोबर की खाद मिलाकर व पानी लगाकर 15-20 दिन पहले छोड़ देते हैं। बीज को 3 ग्राम कैप्टान दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचार करके 15 सेमी. दूरी पर दो सेमी. गहरा बोएं। रोग से बचाव के लिए 100 लीटर पानी में 200 ग्राम कैप्टान दवा घोलकर छिड़काव करें।
पौधों के तने के पास पानी न खड़ा होने दें :
गर्मियों में हर सप्ताह तथा सर्दियों में 15-20 दिन बाद सिंचाई करते रहें। पौधों के kisan yojna : पपीते की खेती से किसान हो रहे माला माल ,सरकार दे रही पपीते की खेती के लिए अनुदान , पढ़े पूरी खबर तने के पास पानी न खड़ा होने दें। पपीते में फूल आने पर ही नर व मादा पौधों की पहचान होती है तब उनमें से सारे खेत में अलग-अलग 10 प्रतिशत नर पौधे रखकर बाकि नर पौधे निकाल दें। 20 किलो गोबर खाद प्रति पौधा दें। फरवरी व अगस्त माह में 500 ग्राम मिश्रित उर्वरक एमोनियम सल्फेट, सिंगिल सुपर फाेसफेट व पोटाशियम सल्फेट दो अनुपात चार अनुपात एक के अनुसार प्रति पौधा दें।
वर्षा ऋतु में तना गलन रोग का प्रकोप होता है। इसकी रोकथाम के लिए पौधों के पास पानी न खड़ा होने दें। लीफ कर्ल व माैजेक रोग से प्रभावित पौधों को निकालकर नष्ट कर दें तथा सफेद मक्खी व चेंपा की रोकथाम के लिए 250 मिली. मैलाथियान 50 को 250 लीटर पानी में छिड़कें। पपीते में पैदावार मादा पौधों की संख्या पर निर्भर करती है। एक पौधे से औसतन 40 किलो फल तथा एक एकड़ में 200 से 300 क्विंटल फल मिल जाता है। – डाॅ. देव करन, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, बक्सर
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कैसे करें अप्लाई
अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते है पपीते की खेती करने के इच्छुक हैं तो आप एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत पपीते की खेती पर सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं. जिसके लिए किसान अधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा अभ्यर्थी योजना की अधिक जानकारी लेने के लिए उद्यान विभाग में संपर्क कर सकते हैं.