बकरी पालन से पाए गाय-भैस के मुकाबले ज्यादा आमदनी,जाने सम्पूर्ण जानकारी

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Basics of Bakri Palan3

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वर्तमान समय में किसान खेती के साथ खेती से जुड़े बिज़नेस पर ज्यादा ध्यान दे रहे है. जिससे उन्हें खेती के मुकाबले दुगुना मुनाफा होता है. किसान भाई बकरी पालन करके काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकते है. बकरी पालन कम लागत के साथ सामान्य देखरेख में गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के आय का एक अच्छा साधन बन रहा है. झारखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में बकरिया किसानो को एटीएम के रूप में मदद करती है. अगर सरकार इस पर ध्यान दे तो किसान काफी अच्छा मुनाफा कर सकता है.गाल्वमेद के वाणिज्यिक विकास, एशिया के सीनियर मैनेजर डॉ पीताम्बर कुशवाहा का कहना है की- “किसान की आय को बढ़ने के ये बहुत अच्छा माध्यम है. देश में 75 प्रतिशत किसान जिनके पास एक हेक्टेयर से भी कम जमीन है, ऐसे किसान बकरी पालन करते हैं. अगर सरकार इसमें कोई मदद करे तो किसानो की आय में बढ़ोत्तरी हो जाएगी”.

बीते कई सालो से डॉ कुशवाहा ग्लोबल एलाइन्स फॉर लाइव स्टॉक वेटनरी मेडिसिन (गाल्वमेद) संस्था में कार्यरत हैं. ये संस्था पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पिछले कई वर्षों से काम कर रही है. ये संस्थ केवल भारत में नही बल्कि कई एशियन देशों में भी काम कर रही है. बकरी पालन की समस्या को लेकर डॉ पीताम्बर बताते हैं, की भारत में फैले हुए छोटे पशुपालक जो गाँव और कस्बों में हैं, अपने घरों में दो तीन बकरियां पाले हैं उन तक पहुंच पाना बहुत कठिन है. अगर हम सरकारी वेनेटरी की बात करें तो इनकी संख्या बहुत कम है, या पेरावेट हैं तो इतने नहीं हैं कि वे हर गाँव, कस्बे में जाकर सेवा दे सकें. इसके लिए सरकारों को निजी संस्थाओं को इसमें लाना चाहिए.” गाय-भैस की तुलना में बकरी पालन तेजी से बढ़ता है. आमदनीवर्ष 2017 में संसद में कृषि संबधी समिति ने एक रिपोर्ट पेश की जिसके मुताबिक देश में लगभग एक लाख 15 हजार पशुचिकित्सकों की जरूरत है और वर्तमान में 60 से 70 हजार ही पशुचिकित्सक उपलब्ध हैं. जिसके कारण पशुचिकित्सक बड़े पशुओं तक अपनी सेवाएं देने में असमर्थ हैं.

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बकरी पालन से पाए गाय-भैस के मुकाबले ज्यादा आमदनी,जाने सम्पूर्ण जानकारी

भारत में बकरी पालन

भारत में पशु बहुत बड़ी आबादी में है, जिसका लाभ उठाकर किसानो की गरीबी को दूर किया जा सकता है. इसका एक उदहारण है-बकरी पालन. जिस तरीके से सरकार डेयरियों पर फोकस कर रही है. उसी तरह बकरी पालन पर फोकस करे, उनके लिए सरकार बाजार से लेकर स्वास्थ्य संबधी सुविधाएं मुहैया कराए. उन्नीसवीं पशुगणना के अनुसार भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, साथ ही उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है. एनडीडीबी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन बकरी का दूध उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा गरीब किसानों के पास है. भले ही छोटे किसान बकरी पालन से जुड़े है किन्तु फिर भी इसमें जागरूकता लाने की बहुत जरुरत है.

बकरी की नस्ले

इसके बारे में डॉ कुशवाहा बताते हैं, हमरे भारत में बकरियों की काफी अच्छी नस्ले है, जैसे जमुनापारी, बरबरी, ब्लैक बंगाल है और भी कई. लेकिन जो गाओ के छोटे किसान बकरी पालते है वो नस्ले अच्छी नही होती है, और न ही वे बकरे की अच्छी नस्ल से प्रजनन कराते हैं. इसे टेक्निकल भाषा में हम लोग इनब्रीडिगं कहते हैं. अगर हम देसी बकरे को हटाकर अच्छी नस्ल के बकरा पीला और उसका प्रजनन बकरी से कराये तो नकी प्रजाति अच्छी होगी उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाएगी. डॉ कुशवाहा ने बताया, किसान आज भी बकरे\बकरी को पेट के कीड़े की दवा नहीं देते जिससे उनका वजन एक से डेढ़ साल में 10 से 15 किलो का होता है जो की दो से तीन हजार में बिकता है. अगर बकरे को समय से पेट के कीड़े की दवा दें और इलाज करें तो बकरे का वजन 20-25 किलो हो जाएगा इससे सुधार हो सकता है.

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बकरी पालन के समय ध्यान रहे

बकरी पालन को व्यावसायिक ढंग से करने के लिए डॉ कुशवाहा बताते हैं, हरे चारे की व्यवस्था जरूर करें. बकरी को सुरक्षित रखने के लिए मचान होना चाहिए. बकरिया गीले जगह पर रहना पसंद नही करती है इसका विशेष ध्यान रखे. घर हवादार होना चाहिए क्योंकि जब वो मलमूत्र करती हैं तो चारों ओर अमोनिया भर जाता है, जिससे निमोनिया हो जाता है. आगे उन्होंने बताया की मुज्जफरपुर में जो बकरी पालक हैं वे बांस की मदद से दो से ढाई हजार में पशुओं का घर बना लेते हैं और अच्छे से पालन करके इस व्यवसाय से मुनाफा कमा रहे. इसी तरह आप भी बकरी पालन करके कई सारे रुपये कमा सकते है.

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