मछलियाँ बच गईं, मगर सरकार फिसलन पर है!”।
बीजेपी के जाल में अब थेगड़े बहुत बढ़ गए हे । बीजेपी में चिंता।
पियूष शर्मा मुलताई – जहाँ जोड़-तोड़ की राजनीति का खेल हर बार दिलचस्प होता है, वहीं इस बार मुलताई नगर पालिका में खुद भाजपा के ही दो पार्षदों ने अपनी ही पार्टी के प्रस्ताव को डुबो दिया – और वो भी बिना लाइफ जैकेट के!
हर्दोली बांध में मछली पालन को लेकर भाजपा का प्रस्ताव आया तो था मगर पकड़ा नहीं गया – क्योंकि जाल उन्हीं के अपने लोगों ने काट दिया। जी हाँ, भाजपा के ही दो पार्षदों ने पार्टी लाइन से अलग जाकर विरोध में मतदान कर दिया।

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नतीजा? भाजपा का प्रस्ताव धड़ाम से गिर पड़ा, और नगर पालिका की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई।
बड़ी बात यह है कि अब भाजपा नगर पालिका में ‘आपसी मतभेद’ की बीमारी से जूझ रही है। एक पार्षद दूसरे को शक की निगाह से देख रहा है और तीसरा सोच रहा है कि अगला नंबर मेरा तो नहीं?
अब सवाल यह है कि जो सरकार “जोड़-तोड़” से बनी हो, वह कितने दिन जोड़कर चल पाएगी?
कांग्रेस भी मौके की तलाश में सक्रिय होती नज़र आ रही है – न जाने कब क्या हो जाए?
नगर परिषद में यह दृश्य अब किसी रियलिटी शो से कम नहीं:
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कौन किसके साथ है,
कौन किसे गिराएगा,
और कौन किस पल पाला बदल लेगा – सब अनिश्चित!
क्या भाजपा की यह नगर सरकार एक “मेहमान सरकार” बन कर रह जाएगी?
क्या कांग्रेस बाजी पलटेगी?
या फिर मुलताई की जनता एक बार फिर राजनीतिक नौटंकी का मूक दर्शक बनेगी?