अनाज भण्डारण का सबसे शानदार तरीका, लंबे समय तक रहेगा सुरक्षित

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gharelu bhandaran tarika

मार्च-अप्रैल के महीने में किसान अपनी फसलों की कटाई को संपन्न कर देते है, जिसके बाद अब किसानो को सरसों, चना, अलसी, गेहूँ जैसी फसलों का भंडारण करना पड़ता है. ताकि वो अपने अनाज का सालभर प्रयोग कर सके. ज्यादा अनाज होने पर किसान के द्वारा उसे संभाल कर रखा जाता है ताकि उसका उचित दाम आने पर वो अनाज बेच सके. जिसके लिए किसान को इसका उचित भंडारण करना होता है ताकि अनाज बर्बाद न हो.

किसानो के पास भण्डारण का सही तरीका न होने पर अनाज नमी, दीमक, घुन और चूहों के कारण बर्बाद हो जाता है. अनाज को अगली बुआई तक या बेचने तक सुरक्षित रखने के लिए किसान भाई इन विधियों को अपना सकते है. केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, के विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुमार बताते हैं,“भण्डारण की सही जानकारी न होने से 10 से 15 फीसदी तक अनाज नमी, दीमक, घुन, बैक्टीरिया द्वारा नष्ट हो जाता है; अनाज को रखने के लिए गोदाम की सफाई कर दीमक और पुराने अवशेष आदि को बाहर निकालकर जलाकर नष्ट कर देना चाहिए; दीवारों, फर्श और ज़मीन में अगर दरार हो तो उन्हे सीमेंट, ईंट से बंद करे दें, टूटी दीवारों की भी मरम्मत करा दें।”

साथ ही आगे उन्होंने बताया की, “अनाजों को अच्छी तरह से साफ-सुथरा कर धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे कि दानों में 10 फीसदी से अधिक नमी न रहने पाए, अनाज में ज़्यादा नमी रहने से फफूंद और कीटों का आक्रमण अधिक होता है। अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज़ करें तो समझना चाहिए कि अनाज भण्डारण के लायक सूख गया है।”

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अनाज भण्डारण का सबसे शानदार तरीका, लंबे समय तक रहेगा सुरक्षित

ऐसे करें भण्डार गृह का चुनाव

किसानो के लिए भण्डारण के लिए सबसे अहम बात ये है की किसान अपने अनाज का भण्डारण कहा कर रहा है. इस पर डॉ. राजीव आगे बताते हैं, “भण्डारण के लिए वैसे भण्डार गृह का चयन करना चाहिए, जहाँ सीलन (नमी) न हो और चूहों से अन्न का बचाव किया जा सके; भण्डार-गृह हवादार हो और ज़रूरत पड़ने पर वायुरूद्ध भी किया जा सके।”

भण्डारण से पहले भंडार गृह को और धातु की कोठियों को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए. साथ ही अनाज को कीटमुक्त करने के लिए मेलाथियान 50 फीसदी का पानी में 1:100 में बने घोल को दीवारों और फर्श पर प्रति एक सौ वर्ग मीटर में तीन लेयर घोल की दर से छिड़काव करना चाहिए।”

खौलते पानी में डाल दें बोरियाँ

आगे उन्होंने कहा की, अगर आप बोरियो में अनाज को रखते है तो पहले इन बोरियो को 20-25 मिनट तक खौलते पानी में डाल दे. इसके बाद बोरियो को धुप में सूखा ले या तो छिड़काव के लिए बने मेलाथियान 50 फीसदी के घोल में बोरियों को डुबाकर फिर बाहर निकालकर सुखा लेना चाहिए. बोरी सूखने के बाद अनाज को भर लेना चाहिए. इन बोरियो को भण्डार गृह में रखने के लिए फर्श से बीस से पच्चीस सेमी की ऊंचाई पर बाँस या लकड़ी के तख्ते का मंच तैयार करना चाहिए. जो दीवार से कम-से-कम 75 सेमी की दूरी पर हो. साथ ही बोरियो की छल्लियों के बीच भी 75 सेमी खाली जगह रखना आपके लिए फायदेमंद होता है. जब बादल छाए रहे, वर्षा होने या वातावरण में अधिक नमी रहने पर भण्डारण न करे. पछुवा हवा चलते रहना भंडारण के लिए सर्वोत्तम माना गया है.

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इन बातों का भी रखें ध्यान

खुले अनाज पर सीधे सूखे या तरल कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. चूहा काफी शंकालु होता है, जिसके लिए आपको बदल-बदल कर विषाक्त चारा, चूहेदानी और टिकिया का प्रयोग करना चाहिए. अनाज में दवा डालने के बाद हाथो को साबुन से धोये. भण्डारण में पुराने अनाज और भूसा वगैरह को निकालकर एक महीने पहले सफाई करके चूहों द्वारा किए गए छेद को नीम से शोधित करके अच्छी तरह से भण्डारण को बंद कर दे. जिससे की छुपे वाले कीट मर जायेंगे. भण्डारण के समय हवा का विशेष ध्यान रखे. जब पुरवा हवा चल रही हो तब ही भण्डारण करे. नीम की पत्ती का प्रयोग करते समय नीम की पत्तियाँ सूखी होनी चाहिए. इसके लिए नीम की पत्तियों को भंडारण से 15 दिन पहले किसी छायादार स्थान पर कागज पर रख कर सुखा लें.

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